इस मंदिर में हनुमान जी के हाथों में गदा
नहीं है बल्कि वे नृत्य करते, झांसी
झांसी. भगवान हनुमान मंदिरों में अक्सर भक्तों को
हाथों में गदा लिए हुए दिखते हैं। वहीं, झांसी में एक ऐसा
मंदिर है जहां हनुमान जी के हाथों में गदा नहीं बल्कि वे नृत्य करते नजर आते हैं।
यहां स्थापित मूर्ति में हनुमान जी का एक हाथ सिर पर है और दूसरा हाथ कमर पर है।
मान्यता है कि नाचते हुए हनुमान जी की प्रतिमा को वस्त्र नहीं पहनाया जाता है,
लेकिन इन्होंने वस्त्र भी धारण कर रखा है। इनकी रक्षा के लिए
मंदिर के बाहर दो दरबानों को भी रखा गया है
सिर्फ पान और मेवा है पसंद
हनुमान जी की यह प्रतिमा करीब 5 फीट ऊंची है। यह मूर्ति भगवान के नृत्य मुद्रा की है। चेहरे पर काफी
मुस्कुराहट पर प्रतीत होती है। पुजारी अनूप बताते हैं कि इस मंदिर में हनुमान जी
को सिर्फ पान और मेवा ही चढ़ाया जाता है। इसके अलावा किसी अन्य चीज का प्रसाद भक्त
नहीं चढ़ाते हैं। सामान्य तौर पर अन्य मंदिरों में बूंदी के लड्डू चढ़ाए जाते
हैं।
रावण का वध होने के बाद नाचने लगे थे
हनुमान जी
रावण का वध करने के बाद भगवान राम अयोध्या लौटे थे।
यहां लौटने के बाद भगवान राम का राजतिलक किया जा रहा था। इस दौरान हनुमान जी बेहद
खुश थे। इस खुशी को जाहिर करने के लिए उन्होंने अपना गदा छोड़ दिया और खुशी से
नाचने लगे। झांसी में स्थित यह प्रतिमा इसी खुशी और रूप को प्रदर्शित करती है।
भगवान की यह मूर्ति बेहद दुर्लभ है।
बताते चलें कि झांसी में स्थित यह मंदिर हनुमान
मंदिर के नाम से नहीं बल्कि माधवबेडि़या सरकार के नाम से मशहूर है। मंदिर के
पुजारी अनूप पाठक बताते हैं कि यह सैकड़ों साल पुराना मंदिर है। इस बात का कोई
लिखित प्रमाण तो नहीं है लेकिन इस जगह और मंदिर को इसी नाम से जाना जाता है।
पुजारी ने बताया कि मंदिर के बाहर दो दरबानों को भी रखवाया गया है ताकि वो नृत्य
मुद्रा में विलीन हनुमाज जी की रक्षा कर सकें।
सैकड़ों साल पुराने इस मंदिर में सदैव भक्तों का
तांता लगा रहता है। बड़ा मंगल पर्व के दौरान यहां सबसे ज्यादा भक्तों की भीड़
देखने को मिलती है। पुजारी पंडित अनूप बताते हैं कि इस मंदिर में स्थानीय लोगों
के अलावा दूर-दराज से भी भक्तगण दर्शन करने के लिए आते हैं। मान्यता है कि इस
मंदिर में आकर सच्चे मन से भक्तों द्वारा मांगी गई सभी मुरादें पूरी होती हैं।
रोचक और अजीब संग्रह आपके लिए.....
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इस मंदिर में एक साथ होता है श्री हनुमान और राक्षस
पूजन पंच कुइयां मंदिर,
झांसी सभी धर्म प्रेमियोँ को मेरा यानि
पेपसिह राठौङ तोगावास कि तरफ से सादर प्रणाम।
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