Sunday 8 February 2015

इसी को कहते हैं चमत्कार! मंदिर में गोबर और मिट्टी से बनी 300 साल पुरानी हनुमान जी की मुर्ति अब तक नहीं हुई ख़राब



हनुमान जी की गाय के गोबर से बनी अनोखी प्रतिमा, निगोहां के उतरावां गांव (उत्तर प्रदेश)
 
गोबर से बनी 300 साल पुरानी हनुमान प्रतिमा
इसी को कहते हैं चमत्कार! मंदिर में गोबर और मिट्टी से बनी 300 साल पुरानी हनुमान जी की मुर्ति अब तक नहीं हुई ख़राब। 

उत्तर प्रदेश के निगोहां के उतरावां गांव में स्थित, हनुमान मंदिर लगभग 300 साल पुराना है। मान्यता है कि मूर्ति भि लगभग 300 वर्ष पुरानी है। इस हनुमान मंदिर का पहला रहस्य यह है की, मंदिर में प्रतिमा गाय के गोबर  और मिट्टी से निर्मित है।

मान्यता है कि गाय की पूंछ में हनुमानजी का वास होता है हनुमान जी के अन्य मंदिरों की तरह यहां भी हनुमान जी को खुश करने के लिए भक्त बजरंगबली की मूर्ति का चमेली के तेल और सिंदूर से अभिषेक करते हैं। हर मंगलवार को यहां भक्तों की बड़ी संख्या होती और हनुमान चालीसा एवं सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। भक्तों का मानना है कि इस प्राचीन प्रतिमा के दर्शन मात्र से सब संकट दूर हो जाते हैं।

लोग बताते हैं कि जब भी यहां मंदिर के जिर्णोद्घार का प्रयास किया गया कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती है और काम रुक जाता है। मंदिर प्रांगण में एक शिव मंदिर भी है। जिसकी हालत काफी जर्जर हो चुकी है। हनुमानजी की मूर्ति और शिवालय की गुंबद व दीवारों की स्थिति को देखकर मंदिर की प्राचीनता का अनुमान हो जाता है। माना जाता है कि इसका कारण मंदिर प्रांगण में मौजूद चार साधुओं की समाधि है। लोग बताते हैं कि  मंदिर में पहली समाधि बाबा जगन्नाथ दास की है जिन्होंने 1835 में अपना शरीर छोड़ा था।

भक्तों में इस मंदिर के प्रति अटूट श्रद्घा। इस कारण कई बार मंदिर के जिर्णोद्घार का भी प्रयास किया गया। लेकिन हर बार लोग असफल रहे। यह मंदिर भक्तों के बीच अस्था का केंद्र है और इसका अपना ही महत्व है।

ग्रामीण बताते है कि वर्ष 2012 में मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए जेसीबी मशीन खुदाई हेतु लाई गई, लेकिन जैसे ही जेसीबी मशीन आई और खुदाई शुरू की गई जेसीबी मशीन खराब हो गई। यही सिलसिला दो बार हुआ। यहां के नागा समुदाय के, महात्माओं ने बताया कि अगर समाधि और साधना स्थल अलग-अलग कर निर्माण कराया जाए तो समस्या नहीं होगी।

 

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